उनाका बधा जो हाथ यहाँ दिल लुता दीया: - The Indic Lyrics Database

उनाका बधा जो हाथ यहाँ दिल लुता दीया:

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - शाम | वर्ष - 1961

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वो सादगी कहें इसे, दीवानगी कहें
उन का बढ़ा जो हाथ यहाँ दिल लुटा दियाआँचल कि ओट हो न हो अब नसीब में, अब नसीन में
मैंने चराग़ आज हवा में जला दिया
उन का बढ़ा जो हाथ यहाँ दिल लुटा दियाये कौन सोचता है के सजदा क़ुबूल हो, सजदा क़ुबूल हो
ये कौन सोचता है कहाँ, सर झुका दिया
उन का बढ़ा जो हाथ यहाँ दिल लुटा दियापहले पहल के दर्द की लज़्ज़त न पूछिये, लज़्ज़त न पूछिये
उठी जो दिल में हूक तो, मैं मुस्कुरा दिया
उन का बढ़ा जो हाथ यहाँ दिल लुटा दिया