शर्मीली आंखों ने सनम तुम हम पे मराते हो - The Indic Lyrics Database

शर्मीली आंखों ने सनम तुम हम पे मराते हो

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - वजूद | वर्ष - 1998

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शरमीली आँखों ने नीची निगाहों ने चुपके से ये कह दिया
सनम तुम हम पे मरते हो मुहब्बत तुम भी करते हो
मगर पोशीदा पोशीदा
सनम तुम हम पे ...ये जो मुहब्बत है जैसे क़यामत है देखा तो क्या हो गया
के देखें ख्वाब हैं जबसे हमारी आँखें हैं तबसे
बड़ी ख्वाबीदा ख्वाबीदा
सनम तुम हम पे ...सुना है तुम तो हो दीवाने सुनो तो मेरे दिल के तराने
सुना के फिर लगे दोहराने सुने हैं तुमने कब ये फ़साने
तुमको सुनानी है क्या वो कहानी है हमको है इसका पता
इन्हीं बातों ने छीना दिल हसीं जलवे अदा क़ातिल
नज़र दुस्बीदा दुस्बीदा
सनम तुम हम पे ...कभी तुम हमसे दूर न जाना कभी तुम इतने पास न आना
कभी तुम दिल को ना ठुकराना कभी तुम दिल को भी समझाना
जानो नहीं जानो मानो नहीं मानो हम तो करेंगे वफ़ा
चलो अब यूं भी ना रूठो कि हमने छेड़ा था तुमको
न हो रंजीदा रंजीदा
सनम तुम हम पे ...