हम वो दिवाने हैं जो ताज़ा हवा लेते हैं - The Indic Lyrics Database

हम वो दिवाने हैं जो ताज़ा हवा लेते हैं

गीतकार - हमीद अंसारी | गायक - अल्ताफ राजा | संगीत - अल्ताफ राजा, वैष्णव देव | फ़िल्म - ताज़ा हवा लेते हैं (गैर-फ़िल्म) | वर्ष - 2001

View in Roman

हम वो दीवाने हैं जो ताज़ा हवा लेते हैं
खिड़कियाँ खोल के मौसम का मज़ा लेते हैं
खिड़कियाँ खोल के ...ऐसा लगता है उन्हें इश्क़ हुआ है हम से
सामना होते ही नज़रों को झुका लेते हैं
खिड़कियाँ खोल के ...पीने वाला ही नहीं कोई हमारे जैसा
हम जहाँ जाते हैं मैखाना बना लेते हैं
खिड़कियाँ खोल के ...हम को उस वक़्त नज़र ताजमहल आता हैसच बता दे ऐ भोली भाली
तू है किस देस की रहने वाली
तेरा चौकस मराठी बदन है
ओ राजपूती तेरा बाँकपन है
ज़ुल्फ़ बंगाल की काली काली
नागन आसाम की तुझ में पाई
देखने की अदा है बिहारी
उड़ीसा की है तुझ में खुमारी
आंध्रा के नमक में ढली है
और कश्मीर की तू कली है
ळखनऊ जैसी है तुझ में नज़ाकत
मध्यप्रदेश की है शरारत
ताजगी तुझ में मद्रास की है
खुश्बू मैसूर की संदली है
भोलापन तुझ में गुजरात का है
केरला का तू रोशन दिया है
तूने पाई है गोवा की मस्ती
तुझमें पंजाब की तंदुरुस्ती
दिल की दिल्ली तेरी राजधानी
सारी दुनिया तेरी है दीवानीहम को उस वक़्त नज़र ताजमहल आता है
जब वो अंगड़ाई को हाथ अपने उठा लेते हैं
खिड़कियाँ खोल के ...