रहमत पे तेरी मेरे गुनाहों को नाज़ है सैगल - The Indic Lyrics Database

रहमत पे तेरी मेरे गुनाहों को नाज़ है सैगल

गीतकार - | गायक - के एल सहगल | संगीत - | फ़िल्म - गैर-फिल्मी | वर्ष - 1948

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रहमत पे तेरी मेरे गुनाहों को नाज़ है
बंदा हूँ जानता हूँ तू बंदानवाज़ हैपल्टी जिधर अदा से लुभातान-ए-ख़ूँ के हूँ
उफ़ यार क़हर की निगाह-ए-नीमबाज़ हैकह दो ये संगदिल से के तेरा संग-ए-आस्ताँ
ये देख ले के किसकी की जबीं में नियाज़ हैमुँह पर लगी है मोहर-ए-ख़मोशी मैं क्या कहूँ
जो मौत ने कहा है वो अच्छी तराज़ है