थीइ वास्ल में भी फ़िक्र ए जुदाई तमाम शब - The Indic Lyrics Database

थीइ वास्ल में भी फ़िक्र ए जुदाई तमाम शब

गीतकार - मोमिन खान मोमिन | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - हसीन लम्हेन 5 (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1992

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थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
वो आये भी तो नींद न आई तमाम शबयक बार देखते ही मुझे गश जो आ गया
भूले थे वो भी होश-रुबाई तमाम शबमर जाते क्यूँ न सुबहो के होते ही हिज्र में
तकलीफ़ कैसी कैसी उठाई तमाम शबगर्म-ए-जवाब-ए-शिकवा-ए-जौर-ए-उदू रहा
उस शोला-बू ने जान जलाई तमाम शब'मोमिन' मैं अपने नालों के सदक़े के कहते हैं
उनको भी आज नींद न आई तमाम शब