लो शूरु हुई इस बार हम मन तुम में तकारारी - The Indic Lyrics Database

लो शूरु हुई इस बार हम मन तुम में तकारारी

गीतकार - पं. भूषण | गायक - असित बरन, बेला मुखर्जी | संगीत - पंकज मलिक | फ़िल्म - काशीनाथ | वर्ष - 1943

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बे : लो शुरु हुई इस बार
हम में तुम में तक़रार
अब मेरे दिल का दाग़ हो तुम
कुछ नहीं गले का हार
सुनते हो?अ : अच्छा, मैं तेरे दिल का दाग़ सही
पर दाग़ हूँ प्यारा प्यारा
बिन दाग़ न देगा चाँद कभी
ठंडा मीठा उजियारा
काँटा न लगा हो फूल के साथ
तो फूल है बिलकुल ख़ार
बे : क्या इसी तरह की होगी शुरु
हम में तुम में तक़रारबे : हम तुम में हमेशा तनी रहेगी
कभी न होगा मेल
भूले तो न होंगे अभी तुम्हें
वो बालकपन के खेल
इस बार मगर कुछ ऐसी ठनेगी
लाख बनाए नहीं बनेगी
मिल कर भी रहेंगे अलग-अलग
जैसे पानी और तेल
अ : मैं जाके कहीं छुप जाऊँगा
और पीहू पीहू की बोल के बोली
दिल में दर्द उठाऊँगा
बे : मैं दिल का दर्द मिटाने
और मन का मीत मनाने
झट इन चरणों में आन गिरूँगी
कर के प्रेम पुकार
अ : क्या इसी तरह की होगी शुरु
हम तुम में तक़रार