हांसी हांसी ना रही और कुशी कुशी ना रहई - The Indic Lyrics Database

हांसी हांसी ना रही और कुशी कुशी ना रहई

गीतकार - आरज़ू लखनवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - सिपहिया | वर्ष - 1949

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हँसी हँसी न रही और ख़ुशी ख़ुशी न रही
मैं ज़िन्दगी जिसे समझूँ वो ज़िन्दगी न रहीजियूँ तो किसके लिए और मरूँ तो किसके लिए
जो एक आस बँधी थी वो आस ही न रहीकुछ आ के ग़म के अँधेरे ने ऐसा घेर लिया
चिराग़ जलते रहे और रोशनी न रहीअँधेरी रात है अब और बुझा सा दिल का दिया
जो चार दिन के लिए थी वो चाँदनी न रही
हँसी हँसी न रही ...