सुर बदले कैसे-कैसे देखो क़िस्मत - The Indic Lyrics Database

सुर बदले कैसे-कैसे देखो क़िस्मत

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफी | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - बरखा | वर्ष - 1959

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सुर बदले कैसे-कैसे देखो क़िस्मत की शहनाई
हाथ में आया ना हाथ पिया का काहे को मेंहदी रचाई
बिखर गईं सेहरे की कलियाँ हार सिंगार भी पड़ गया फीका
घूँघट ही की ओट से पाया चार घड़ी बस दर्शन पी का
टूट गए सब सुन्दर सपने रात मिलन की न आई
सुर बदले कैसे-कैसे
कल तक थीं रंगीन बहारें आज क़फ़स है और ज़ंजीरें
तारों की गर्दिश के आगे काम न आईं कुछ तदबीरें
हसरत थी दिल को मेलों की और मिली है तन्हाई
सुर बदले कैसे-कैसे
फूल चमन से ऐसे निकला फूल न हो कोई धूल हो जैसे
दी भी सज़ा तो ऐसी सज़ा दी फूल का खिलना भूल हो जैसे
जितना संभल के पाँव उठाया उतनी ही ठोकर खाई
सुर बदले कैसे-कैसे $