ताल पे जब ये ज़िन्दगानी चली - The Indic Lyrics Database

ताल पे जब ये ज़िन्दगानी चली

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - अलका याज्ञिक - सोनू निगम | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - रिफ़्यूजी | वर्ष - 2000

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ताल पे जब ये ज़िन्दगानी चली
हम हैं दीवाने ये कहानी चली
तेरी नज़र की धूप है जिसने मुझ को रूप दिया है
निखर गई हूँ, संवर गई हूँ, जब से प्यार किया है
सच तो ये है सनम, है ये तेरा करम
होश सारा गँवा के दीवानी चली
सच कहता हूँ मैने जब से थामा है ये आँचल
मेरी दुनिया में हरपल है जैसे कोई हलचल
सपने सजने लगे, साज़ बजने लगे
बदला मौसम हवा जो सुहानी चली