लहरती हुईं रहने ये हम आ गए हैं कहां - The Indic Lyrics Database

लहरती हुईं रहने ये हम आ गए हैं कहां

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - लता मंगेशकर, उदित नारायण | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - वीर जारा | वर्ष - 2004

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उ:लहराती हुईं राहें खोले हुए हैं बाहें
ये हम आ गये हैं कहाँ
ल: पलकों पे गहरे हल्के हैं रेशमी धुँधलके
ये हम आ गये हैं कहाँ
उ:हाँ, ये हम आ गये हैं कहाँउ:वो देखो ज़रा पर्बतों पे घटाएँ
हमारी दास्ताँ हौले से सुनाएँ
ल: सुनो तो ज़रा ये फूलों की वादी
हमारी ही कोई कहानी है सुनाती
उ:सपनों के इस नगर में
यादों की रहगुज़र में
ये हम आ गये हैं कहाँ
ल: हाँ, ये हम आ गये हैं कहाँल: जो राहों में है रुत ने सोना बिखेरा
सुनहरा हुआ तेरा मेरा सवेरा
उ:ज़मीं सो गई बर्फ़ की चादरों में
बस इक आग सी जलती है दो दिलों में
ल: हवाएँ सनसनाएँ
बदन काँप जाएँ
ये हम आ गये हैं कहाँ
उ:हाँ, ये हम आ गये हैं कहाँउ:ये बरसात भी कब थमे कौन जाने
ल: तुम्हें मिल गये प्यार के सौ बहाने
उ:सितारों की है जैसे बारात आई
ल:हमारे लिये रात यूँ जगमगाई
उ:सपने भी झिलमिलाएँ
ल: दिल में दिये जलाएँ
उ:ये हम आ गये हैं कहाँ
ल: हाँ ये हम आ गये हैं कहाँदोनों:
हाँ ये हम आ गये हैं कहाँ