ये फ़सले तेरी गलियों के हज़ार बार रुके हम - The Indic Lyrics Database

ये फ़सले तेरी गलियों के हज़ार बार रुके हम

गीतकार - गुलजार | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - वनराज भाटिया | फ़िल्म - मम्मो | वर्ष - 1994

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ये फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय न हुए
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चलेन जाने कौन सी मट्टी वतन की मट्टी थी
नज़र में धूल जिगर में लिये ग़ुबार चलेये कैसी सरहदें उलझी हुई हैं पैरों में
हम अपने घर की तरफ़ उठ के बार बार चले