गुरुर ब्रम्ह रुत बसंत आई अब तो साजन घर आ जा - The Indic Lyrics Database

गुरुर ब्रम्ह रुत बसंत आई अब तो साजन घर आ जा

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर, मन्ना दे | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - झनक झनक पायल बाजे | वर्ष - 1955

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गुरुर ब्रम्ह गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वारः
गुरु साक्षात परब्रम्ह तस्मै श्री गुरवे नमः
आँआँ
रुत बसन्त आई बन-बन उपबन
द्रुम मिलिन्द प्रफुलित सुगन्ध
मन्द पवन आवत मिलिन्द मधुकर मधुर गुँजत
रुत बसन्तआई है घटा उमड़-घुमड़ घोर फिर
कहूँ गात उमड़ गीत अति श्याम बरन
आई है घटा उमड़-घुमड़ उमड़-घुमड़
श्याम बरन श्याम बरन श्याम बरन
आई आई आई है घटाल : आ
पतझड़ छाई छाई जलत उदास
मैं घबराई
नैना रस की प्यासी-प्यासी
पतझड़ छाई
पतझड़ छाई छाई जलत उदास
मैं घबराई
नैना रस की प्यासी -३आ
अब तो साजन घर आ जा
ओ मोरे सैयाँ मन का फूल खिला जा
अब तो साजन घर आ जातड़प-तड़प के ये बरखा बहार गुज़री है
जो रुत थी आई वो बेक़रार गुज़री है
हो राग मिलन के सुना जा
अब तो साजन घर आ जा
आ जा
अब तो साजन घर आ जा