हाय तौबा तौबा ये जवानी ये मन मेरी जान - The Indic Lyrics Database

हाय तौबा तौबा ये जवानी ये मन मेरी जान

गीतकार - योगेश | गायक - मुकेश | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - अन्नदाता | वर्ष - 1972

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है रे तौबा
है रे तौबा यह जवानी
यह जवानी का गरूर
इश्क के सामने फिर भी
सर झुकना ही पड़ा
कैसा कहते थे ना आएंगे
कैसा कहते थे ना आएंगे
मगर दिल ने इस तरह
पुकारा तुम्हे आना ही पड़ा

हाँ यह मन मेरी
जन मोहबत सजा है
हाँ यह मन मेरी
जन मोहबत सजा है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है
वह एक बेक़रारी
जो अबतक िडहर थी
वह ही बेकरारी
उधर किस लिए है
अभी तक तोह इधर
थी उधर किसलिये है
किसलिए है हाँ किसलिए है
हाँ यह मन मेरी
जन मोहबत सजा है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है

बहलना ना जाने
बदलना ना जाने
तमना मचल के
सम्भालना नजाने
तमना मचल के
सम्भालना नजाने
बहलना ना जाने
बदलना ना जाने
तमना मचल के
सम्भालना नजाने
तमना मचल के
सम्भालना नजाने
क़रीब और ाओ
कदम तोह बढाओ
जुका दू ना में
सार तोह सार किस लिए
जुका दू ना में
सार तोह सार किस लिए
हाँ यह मन मेरी
जन मोहबत सजा है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है

नजारे भी देखे
इशारे भी देखे
कई खूबसूरत
सहारे भी देखे
कई खूबसूरत
सहारे भी देखे
नजारे भी देखे
इशारे भी देखे
कई खूबसूरत

सहारे भी देखे
नाम क्या चीज है
इज्जत क्या है सोने चांदी
की हकीकत क्या है
लाख बहलाये कोई
दौलत से प्यार के
सामने दौलत क्या है
नजारे भी देखे
इशारे भी देखे
कई खूबसूरत
सहारे भी देखे
कई खूबसूरत
सहारे भी देखे
जो मैखने जेक
में सागर उठाओ
तोह फिर यह नशीली
नजर किसलिये है
तोह फिर यह नशीली
नजर किसलिये है
हाँ यह मन मेरी
जन मोहबत सजा है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है

तुम्ही ने सवांरा
तुम्ही ने सजाया
मेरे सूने दिल को
तुम्ही ने बसाया
मेरे सूने दिल को
तुम्ही ने बसाया
तुम्ही ने सवांरा
तुम्ही ने सजाया
मेरे सूने दिल को
तुम्ही ने बसाया
जिस चमन से भी
तुम गुजर जाओ हर
काली पर निखार आजाये
रूत जो तोह रूत जय
खुदा और जो हास् दो
तोह बहार आ जाये
तुम्ही ने सवांरा
तुम्ही ने सजाया
मेरे सूने दिल को
तुम्ही ने बसाया
मेरे सूने दिल को
तुम्ही ने बसाया
तुम्हारे कदम से
है घर में उजाला
अगर तुम नहीं तोह
यह घर किस लिए है
अगर तुम नहीं तोह
यह घर किस लिए है
हाँ यह मन मेरी
जन मोहबत सजा है
मजा इसमें इतना
मगर किसलिए है

वह एक बेक़रारी
जो अबतक िडहर थी
वह ही बेकरारी
उधर किस लिए है
वह ही बेकरारी
उधर किस लिए है.