शबाब ए रफ्ता की अब कोई यादगार नहीं - The Indic Lyrics Database

शबाब ए रफ्ता की अब कोई यादगार नहीं

गीतकार - | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - गुलाम अली के सर्वश्रेष्ठ (गैर-फ़िल्म) | वर्ष - 1990

View in Roman सलाम करने का उनको गुनाहगार नहीं
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शबाब-ए-रफ़्ता की अब कोई यादगार नहीं
बहार में भी वो रंगीनी-ए-बहार नहींकभी हयात की ज़ामिन कभी वसीला-ए-मर्ग
निगाह-ए-दोस्त तेरा कोई एतबार नहींबहार अस्ल में होती है दिल की शादाबी
नज़र के सामने जो कुछ है वो बहार नहींतेरे जमाल का जब तक न इज़्नु मिल जाये
किसी चराग़ को जलने का इख़्तियार नहींहयात में कोई तूफ़ान आने वाला है
बहुत दिनों से कोई मौज बेक़रार नहींवो अब भी मुझसे हैं नाराज़ क्या करूँ 'राना'
सलाम करने का उनको गुनाहगार नहीं