इंतज़ार और अभी, और अभी, और अभी - The Indic Lyrics Database

इंतज़ार और अभी, और अभी, और अभी

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - चार दिल चार राहें | वर्ष - 1959

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जब मैं कहती हूँ किस रोज़ हुज़ूर आएँगे
दिल ये कहता है कि एक दिन तो ज़रूर आएँगे
इंतज़ार और अभी, और अभी, और अभी
साँझ की लाली सुलग-सुलगकर बन गई काली धूल
आए न बालम बेदर्दी मैं चुनती रह गई फूल
इंतज़ार और अभी, और अभी, और अभी
रैन भई, बोझल अँखियन में चुभने लागे तारे
देस मैं परदेसन हो गई जब से पिया सिधारे
इंतज़ार और अभी, और अभी, और अभी
भोर भई पर कोई न आया, सूनी सेज बसाने
तारे डूबे, दीपक बुझ गए, राख हुए परवाने
इंतज़ार और अभी, और अभी, और अभी