घिर घीर बन में घोर घटा छाई - The Indic Lyrics Database

घिर घीर बन में घोर घटा छाई

गीतकार - | गायक - खुर्शीद | संगीत - ज्ञान दत्त | फ़िल्म - बेटी | वर्ष - 1941

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घिर-घिर बन में घोर घटा छाई
ओ मोरे याद तेरी आईघिर-घिर घिर-घिर गिरें झरोके
और कौन मिलने के मौक़े
ओ बरखा दुलहन बन के आई
घिर-घिर बन में घोर घटा छाई
ओ मोहे याद तेरी आईसावन आया पिया लो जी
तुम भी तो घर आओ ना
अज मोरे अंगना में आओ
आओ आ के जाओ न
कलप कलप हारी
और मोहे कलपाओ न
ओ मोहे याद तेरी आई
घिर-घिर बन में घोर घटा छाई
ओ मोहे याद तेरी आईखिड़्की खोल खिड़ी नैनन की
कुछ सुन जा कुछ कह जा रे मन की
ओ मैं ने कैसी आग लगाई
घिर-घिर बन में घोर घटा छाई
ओ मोहे याद तेरी आई
घिर-घिर बन में घोर घटा छाईइरादा था कि शादी कर के अपना घर बसाएं गे
कभी आलू, कभी गोभी, कभी मुर्ग़ा पकाएं गे
मगर हर रोज़ पतली दाल खाई, आप क्यूण रोए