ना भंवरा ना कोई गुलो - The Indic Lyrics Database

ना भंवरा ना कोई गुलो

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान, आशा भोंसले | संगीत - रोशन | फ़िल्म - आरती | वर्ष - 1962

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र : ना भँवरा ना कोई गुल
अकेला हूँ मैं तेरा बुलबुल
है एक तनहाई
मेरी जाँ मेरे जहाँ में आ
आ : मेरे जहाँ में रंग-ओ-बू
कहीं पर हँसी कहीं आँसू
ये ही बता सौदाई
मैं ये ज़िंदगी भुला दूँ क्याउल्फ़त की है यहाँ बू बास
मन में लगी लबों पर प्यास
को : मन में लगी लबों पर प्यास
आ : चाँदी सोना हो न हो
दिल है अपने पास
र : मेरी दुनिया और हसीं है
यहाँ दंगा शोर नहीं हैहै एक तनहाई
मेरी जाँ मेरे जहाँ में आ
ना भँवरा ना कोई गुल
अकेला हूँ मैं तेरा बुलबुल
है एक तनहाई
मेरी जाँ मेरे जहाँ में आतेरा जहाँ है जिसका नाम
ग़म की सुबह दुखों की शाम
को : हो no no no
र : मामूली सी बात पे
लड़ना इसका काम
आ : फिर भी ये सब हैं अपने
मिल जुल कर देखें सपनेये ही बता सौदाई
मैं ये ज़िंदगी भुला दूँ क्या
मेरे जहाँ में रंग-ओ-बू
कहीं पर हँसी कहीं आँसू
ये ही बता सौदाई
मैं ये ज़िंदगी भुला दूँ क्यार : ना भँवरा ना कोई गुल
अकेला हूँ मैं तेरा बुलबुल
है एक तनहाई
मेरी जाँ मेरे जहाँ में आ