तुमसे कुछ कहना है - The Indic Lyrics Database

तुमसे कुछ कहना है

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - मुकेश, लता | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - गेस्ट हाउस | वर्ष - 1959

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तुमसे कुछ कहना है, गर तुम कुछ कहने दो
आजि बोले बिना हुम जाने, रहने दो जि रहने दो
इन आँखोंएं रहन है, अगर प्यार से रहने दो
पहले दिल को नजरोगे, कुछ तीर तो सहने दो
हँस हँसके सह लेंगे, बदे शोख से तीर चलाओ
ये फ़साना है पुराना, कोई बात नयी फ़र्माओ
चलो जूठ सही, पेर बात मेरी, एक बार भी तो सुन लो
तुमसे कुछ कहना है, अगर तुम कुछ कहने दो
आजि बोले बिना हुम जाने, रहने दो जि रहने दो
दिल डोले, कुछ बोले, भला कौन ये समजे इशारे
वो इशारा जो तुम्हर, तो मैं तोड के ला दूं किनारे
आजि तुमसे यकीं कुछ हुमको नहिं, जरा होंश की बात करो
तुमसे कुछ कहना है, अगर तुम कुछ कहने दो
आजि बोले बिना हुम जाने, रहने दो जि रहने दो
कुछ दिन्से मेरे दिल्मे.इन, कोई बन के खयाल आता है
बतोंसे बहलाना, तुम को येह क़माल आता है
सच कहते.इन है हुम
चलो खाओ क़सम
चाहे अपनी क़सम ले लो
तुमसे कुछ कहना है, अगर तुम कुछ कहने दो
आजि बोले बिना हुम जाने, रहने दो जि रहने दो$