अफसाना लिख रही हुं - The Indic Lyrics Database

अफसाना लिख रही हुं

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - उमा देवी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - दर्द | वर्ष - 1947

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अफ़सान लिख रही हूँ (२) दिल-ए-बेक़रार का
आँखोँ में रंग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँजब तू नहीं तो कुछ भी नहीं है बहार में
नहीं है बहार में
जी चाहता है मूँह भी
जी चाहता है मूँह भी न देखूँ बहार का
आँखोँ में रन्ग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँहासिल हैं यूँ तो मुझको ज़माने की दौलतें
ज़माने की दौलतें
लेकिन नसीब लाई
लेकिन नसीब लाई हूँ इक सोग़वार का
आँखोँ में रन्ग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँआजा कि अब तो आँख में आँसू भी आ गये
आँसू भी आ गये
साग़र छलक उठा
साग़र छलक उठा मेरे सब्र-ओ-क़रार का
आँखोँ में रन्ग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँ