बूझ मेरा क्या नाव रे - The Indic Lyrics Database

बूझ मेरा क्या नाव रे

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - शमशाद बेगम | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - सी. आय. डी. | वर्ष - 1956

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बूझ मेरा क्या नाव रे
नदी किनारे गांव रे
पीपल झूमे मोरे आँगना
ठंडी ठंडी छाँव रे
लोग कहें में बावरी
मेरे उलझे उलझे बाल
मेरा काला काला तिल है
मेरे गोरे गोरे गाल
मैं चली जिस गली
झूमे सारा गांव रे
आज संभल के देखना
बाबूजी हमरी ओर
कहीं दिल से लिपट ना जाए
लम्बी जुल्फों की डोर
में चली, मनचली
सब का मन ललचाऊँ रे
दिलवालों के बिच में
मेरी अँखियाँ है बदनाम
हूँ एक पहेली फिर भी
कोई बूझे मेरा नाम
ये चली ये चली
बूझो तो कित जाऊँ रे