ना झटको ज़ुल्फ़ से पानी - The Indic Lyrics Database

ना झटको ज़ुल्फ़ से पानी

गीतकार - राजेंद्र कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - शहनाई | वर्ष - 1964

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ना झटको ज़ुल्फ़ से पानी, ये मोती फूट जायेंगे
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा, मगर दिल टूट जायेंगे
ये भीगी रात, ये भीगा बदन, ये हुस्न का आलम
ये सब अंदाज़ मिल कर, दो जहां को लूट जायेंगे
ये नाज़ुक लब हैं या आपस में दो लिपटी हुई कलियाँ
ज़रा इनको अलग कर दो, तरन्नुम फूट जायेंगे
हमारी जान ले लेगा, ये नीची आँख का जादू
चलो अच्छा हुआ मर कर, जहां से छूट जायेंगे