उदास उदास फिजाओं में आना ही पडेगा - The Indic Lyrics Database

उदास उदास फिजाओं में आना ही पडेगा

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - तलत महमूद | संगीत - खैय्याम | फ़िल्म - लाला रुख | वर्ष - 1958

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The slow lines before the main song:उदास उदास फ़िज़ाओं में नूर छलकाओ
बुझे बुझे हुए तारों को हँस के चमकाओ
ग़ुरुर-ए-हुस्न सलामत न राह दिखलाओ
रबग डूब गया, खूने अब तो आ जाओ (?)आना ही पड़ेगा, आना ही पड़ेगा
सर इश्क़ के कदमों पे झुकाना ही पड़ेगा
आना ही पड़ेगा( नगमा मेरा हर साँस में रस घोल रहा है
इस साँस के परदे में खुदा बोल रहा है )-२
छेड़ा है अगर साज़ तो गाना ही पड़ेगा-२
सर इश्क़ के कदमों पे झुकाना ही पड़ेगा
आना ही पड़ेगा
आना ही पड़ेगा आ आ( टपकेगा लहू दर्द भरे राग से कब तक
खेलेगी तेरी मस्त अदा आग से कब तक )-२
इस खेल में अब हाथ जलाना ही पड़ेगा-२
सर इश्क़ के कदमों पे झुकाना ही पड़ेगा
आना ही पड़ेगा
आना ही पड़ेगा आ आ( उल्फ़त कभी दुनिया से डरेगी ना डरी है
फूलों से जवानी ने सदा माँग भरी है )-२
हँसने के लिये ज़ख्म तो खाना ही पड़ेगा-२
आना ही पड़ेगा-४