गीतकार - पी एल संतोषी | गायक - पारुल घोष | संगीत - पन्नालाल घोष | फ़िल्म - बसंत | वर्ष - 1942
View in Roman( हुआ क्या क़ुसूर
जो हमसे हो दूर
जान-जिगर
आँखों के नूर ) -२
हुआ क्या क़ुसूरजाम-ए-मोहब्बत हमारी गली में -३
छलकाते चले
छलकाते चले तुम लुटाते चले
हाँ छलकाते चले तुम लुटाते चले
हमारा ही दिल टरकाते चले
बस हमारा ही दिल टरकाते चले
कैसी सज़ा है ये मेरे हुज़ूरहमसे हो दूर
जान-जिगर
आँखों के नूर
हुआ क्या क़ुसूर
जो हमसे हो दूर
जान-जिगर
आँखों के नूर
हुआ क्या क़ुसूर( औरों ने पी और लगे झूमने
हाँ लगे झूमने ) -२
हमने भी पी
हमने भी पी पर न आया सुरूर -२
( ऐसी पिलावो कि पीते रहें हम
कि पीते रहें हम ) -२
कि पीते रहें हम
नशे में हो चूर -२आँखों के नूर
( हुआ क्या क़ुसूर
जो हमसे हो दूर
जान-जिगर
आँखों के नूर ) -२
हुआ क्या क़ुसूर