पैसे की पहाचन यहाँ - The Indic Lyrics Database

पैसे की पहाचन यहाँ

गीतकार - नीरज | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - पहचान | वर्ष - 1970

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पैसे की पहचान यहाँ इंसान की क़ीमत कोई नहीं
बच के निकल जा इस बस्ती में करता मोहब्बत कोई नहींबीवी बहन माँ बेटी न कोई पैसे का सब रिश्ता है -२
आँख का आँसू ख़ून जिगर का मिट्टी से भी सस्ता है
मिट्टी से भी सस्ता है
सबका तेरी जेब से नाता तेरी ज़ुरूरत कोई नहीं
बच के निकल जा इस बस्ती में करता मोहब्बत कोई नहींशोख़ गुनाहों की ये मण्डी मीठा ज़हर जवानी है -२
कहते हैं ईमान जिसे वो कुछ नोटों की कहानी है
कुछ नोटों की कहानी है
भूख है मज़हब इस दुनिया का और हक़ीक़त कोई नहीं
बच के निकल जा इस बस्ती में करता मोहब्बत कोई नहींज़िंदगी क्या है चीज़ यहाँ मत पूछ आँख भर आती है -२
रात में करती ब्याह कली वो बेवा सुबह हो जाती है
बेवा सुबह हो जाती है
औरत बन कर इस कूचे में रहती औरत कोई नहीं
बच के निकल जा इस बस्ती में करता मोहब्बत कोई नहीं
करता मोहब्बत कोई नहीं