सय्याँ जी से छिप के हुई क्या तेरी बात - The Indic Lyrics Database

सय्याँ जी से छिप के हुई क्या तेरी बात

गीतकार - समीर | गायक - सहगान, उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - बेटा | वर्ष - 1992

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सैंया जी से छिप के हुई क्या तेरी बात बता दे बेलियाआँख झुक जाएगी ओ
मुझको शर्म आएगी ओ
ऐसे कैसे बता दूं हुआ क्या मेरे साथ
हूँ सुन तो बेलियाहै कसम तुझको तू हमसे कुछ ना छिपा
कैसे बिखरा ये जूड़े का गजरा बता
बता ना बता नामेरे गजरे में बैठा था भंवरा सखी
मैं जो हाथों से उसको उड़ाने चली
डोर नाज़ुक थी ओए ओए
डोर नाज़ुक थी छूते ही टूट गई
छूट के ऐसे गजरे से बिखरी कली ओए ओए
सैंया जी से छिप के ...तेरे होंठों पे दांतों के हैं क्यों निशां
यूं लगे नाखून तुझको कैसे कहां
बता ना बता नारास्ते में मुझे एक तोता मिला
देखते ही उसे मेरा मन जो खिला
प्यारे तोते को मैं सहलाने गई
चोंच होंठों पे वो मार के उड़ गया ओए ओए
सैंया जी से छिप के ...पूछती हैं तेरी काली उलझी लटें
तेरी चोली में कैसे पड़ीं सलवटें
बता ना बता नादर्द दिल में उठा था कोई अजनबी
बेकरारी हुई मैं तड़पने लगी
पीड़ा मुझसे सही न गई जब सखी
अपने हाथों से दिल को दबाने लगी ओए ओएकुछ समझ में न आए है ये माजरा
तूने पहना है क्यूं उल्टा ये घाघरा
बता ना बता ना
पकड़ी गई हो पकड़ी गई
पकड़ी गई देखो पकड़ी गईआओ आओ यहां सब बताऊंगा मैं
भेद तुमसे ना कोई छिपाऊंगा मैं
मैना तोते से छिपके जो करती है
जो दिया बाती के साथ करता है
धरती जो आसमां को सुनाती है
भंवरा कलियों से जो बात करता है
हमने तो की वही बात
तो सुन ले बेलिया