चंपई धूप के साए बाहों में सिमत आए हैं - The Indic Lyrics Database

चंपई धूप के साए बाहों में सिमत आए हैं

गीतकार - गुलजार | गायक - शुभा मुदगल | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - लीला | वर्ष - 2002

View in Roman

चम्पई धूप के साये(harmony)चम्पई धूप के साये
बाहों में सिमट आये हैं
बहने लगे हैं शिरयानों में
बड़ा रंगीं लगता है
फिर भी ग़मगीं लगता है(harmony)छाँव छोड़ के धूप में चलना
छाँव छोड़ के धूप में चलना
धूप सदा रहती भी नहीं
यूँ भी कभी तो होता होगा
गुनाह हसीं लगता है
फिर भी, ग़मगीं लगता है(harmony)