इन बहारों में अकेले ना फिरो, राह में काली घटा रोक ना ले - The Indic Lyrics Database

इन बहारों में अकेले ना फिरो, राह में काली घटा रोक ना ले

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा - रफी | संगीत - रोशन | फ़िल्म - ममता | वर्ष - 1966

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इन बहारों में अकेले ना फिरो
राह में काली घटा रोक ना ले
मुझको ये काली घटा रोकेगी क्या
ये तो खुद है मेरी जुल्फों के तलें
ये फिजायें, ये नज़ारे शाम के
सारे आशिक हैं तुम्हारे नाम के
फूल कहती है तुम्हे बाद-ए-सबा
देखना बाद-ए-सबा रोक ना ले
मेरे कदमों से बहारों की गली
मेरा चेहरा देखती है हर कली
जानते हैं सब मुझे गुलज़ार में
रंग सबको मेरे होठों से मिले
बात ये है क्यों किसी का नाम लूँ
हो ना ऐसा मैं ही दामन थाम लूँ
जा रही हो तुम बड़े अंदाज़ से
मेरी चाहत की सदा रोक ना ले