ये जो जिंदगी हैं - The Indic Lyrics Database

ये जो जिंदगी हैं

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - सहगान, सुखविंदर सिंह, सुजाता त्रिवेदी, श्रीनिवास | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - 1947 पृथ्वी | वर्ष - 1999

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सुख: जो अफ़साने दिल ने बुने
उनको कोई दिल ही सुने
हम हौले हौले प्यार की धुंदली फ़िज़ाओं में आये
गहरे गहरे हैं ख़्वाब की नीली घटाओं के साये
हम तुम दोनों खोये खोये
सपने देखें जागे सोये
गुमसुम हैराँको: (ये जो ज़िंदगी है कोई दास्ताँ है
कब होगा क्या ये खबर कहाँ है
ये जो ज़िंदगी है कोई कारवाँ है
कहाँ जायेगी ये खबर कहाँ है) -२सुजा:बहती हैं चिंगारियाँ जैसे
सर से पाँव तक नस नस में
हल्का हल्का होश है लेकिन
कुछ भी नहीं अब मेरे बस मेंमेरे अंग अंग में बेचैनी बिजली बनके लहराये
एक मीठे मीठे दर्द का बादल तन मन पर छाये
साँसें उलझे धड़के ये दिल
जाने कैसे मेरी मुश्किल
होगी आसाँको: (ये जो ज़िंदगी है कोई दास्ताँ है
कब होगा क्या ये खबर कहाँ है
ये जो ज़िंदगी है कोई कारवाँ है
कहाँ जायेगी ये खबर कहाँ है) -३सुख: अरे काश मेरी इन आँखों की अब रोशनी बुझ जाये
मैं ने देखा था जो ख़्वाब वो मुझको न कभी याद आये
ऐसे बरसे ग़म के तीशे
टूटे दिल के सारे शीशे
दिल है वीराँको: (ये जो ज़िंदगी है कोई दास्ताँ है
कब होगा क्या ये खबर कहाँ है
ये जो ज़िंदगी है कोई कारवाँ है
कहाँ जायेगी ये खबर कहाँ है) -२