गोर गोर चांद से मुख परी - The Indic Lyrics Database

गोर गोर चांद से मुख परी

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - कोहिनुर | वर्ष - 1960

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गोर गोर चाँद से मुख पर
काली काली आँखें हैं
गोर गोर चाँद से मुख पर
काली काली आँखें हैं
देख के जिन्को
नींद उड़ जाए वो मतवाली
आँखें हैं गोर गोर

मुंह से पल्ला क्या सरकना
मुंह से पल्ला क्या सरकना
इस बादल में बिजली है
दूर ही रहना दूर ही रहना
दूर ही रहना
इनसे क़यामत ढहाने वाली
आँखें हैं गोर गोर
चाँद से मुख पर
काली काली आँखें हैं
गोर गोर

बे जिनके अंधेर है सब कुछ
बे जिनके अंधेर है सब कुछ
ऐसी बात है इनमें क्या

आँखें आँखें
आँखें आँखें
आँखें आँखें
सब हैं बराबर कौन
निराली आँखें हैं
गोर गोर चाँद से मुख पर
काली काली आँखें हैं
गोर गोर

बे देखे आराम नहीं है
बे देखे आराम नहीं है
देखो तो दिल का चैन गया
देखने वाले देखने वाले
देखने वाले
यूँ कहते हैं क्या
भोली भाली आँखें हैं
देखके जिनको नींद उड़ जाये
वह मतवाली आँखें
गोर गोर चाँद से मुख पर
काली काली आँखें हैं
गोर गोर.