मेरे जीवन के पथ पर छाई ये कौन - The Indic Lyrics Database

मेरे जीवन के पथ पर छाई ये कौन

गीतकार - प्रदीप | गायक - अशोक कुमार, देविका रानी | संगीत - NA | फ़िल्म - अंजान | वर्ष - 1941

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मेरे पिया तो बसें परदेस रे
हाए बसन्त रुत क्यों आई
तू पवन ना कर अठकेलियां
मेरे दिल की कली मुरझाई
मेरे पिया तो बसें ...

पिया पिया पपीहा गाता है
दिल ग़म में डूबा जाता है
प्रानों को लगे है ठेस रे
हाए बसन्त रुत क्यों आई
मेरे पिया तो बसें ...

संवरिया नाता तोड़ गये
इक दर्द सा दिल में छोड़ गये
भेझा ना कोई संदेस रे
हाए बसन्त रुत क्यों आई
मेरे पिया तो बसें ...

फिर फूल फूल मुसकाने लगा
मुझे अपना फूल याद आने लग
फूलों का बदल कर भेस रे
हाए बसन्त रुत क्यों आई
मेरे पिया तो बसें ...

बगिया में किसी की बंसी न बजी
राजा न आये रानी न सजी
बंसी न बजी रानी न सजी
उजड़ा मेरे मन का देस रे
हाए बसन्त रुत क्यों आई
मेरे पिया तो बसें ...