ऐसे तो ना देखो के हमको नशा हो जाये - The Indic Lyrics Database

ऐसे तो ना देखो के हमको नशा हो जाये

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - तीन देवियां | वर्ष - 1965

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ऐसे तो न देखो, के हमको नशा हो जए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए (२)
ऐसे तो न देखोतुम हमें रोको फिर भी हम ना रुकें
तुम कहो काफ़िर फिर भी ऐसे झुकें
क़दम-ए-नाज़ पे इक सजदा अदा हो जाये
ऐसे तो न देखोयूँ न हो आँखे रहें काजल घोलें
बढ़ के बेखुदी हंसीं गेसू खोलें
खुल के फिर ज़ुल्फ़ें सियाह काली बला हो जाये
ऐसे तो न देखोहम तो मस्ती में जाने क्या क्या कहें
लब-ए-नाज़ुक से ऐसा न हो तुम्हें
बेक़रारी का गिला हम से सिवा हो जाये
ऐसे तो न देखो