हुस्नवाले तेरा जवाब नहीं, कोई तुझसा नहीं हजारों में - The Indic Lyrics Database

हुस्नवाले तेरा जवाब नहीं, कोई तुझसा नहीं हजारों में

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - घराना | वर्ष - 1961

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हुस्नवाले तेरा जवाब नहीं
कोई तुझ सा नहीं हज़ारों में
तू है ऐसी कली जो गुलशन में साथ अपने बहार लायी हो
तू है ऐसी किरण जो रात ढले, चाँदनी में नहा के आयी हो
ये तेरा नूर ये तेरे जलवे, जिस तरह चाँद हो सितारों में
तेरी आँखों में ऐसी मस्ती है, जैसे छलके हुए हों पैमाने
तेरे होठों पे वो खामोशी है, जैसे बिखरे हुए हों अफ़साने
तेरी ज़ुल्फों की ऐसी रंगत है, जैसे काली घटा बहारों में
तेरी सूरत जो देख ले शायर, अपने शेरों में ताज़गी भर ले
एक मुसव्विर जो तुझ को पा जाये, अपने ख्वाबों में ज़िन्दगी भर ले
नग़्मागर ढूँढ ले अगर तुझको, दर्द भर ले वो दिल के तारों में