गिरगिट की तरह हैं रंग बदलते - The Indic Lyrics Database

गिरगिट की तरह हैं रंग बदलते

गीतकार - पी एल संतोषी | गायक - लता मंगेशकर, सी रामचंद्र | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - संगीता | वर्ष - 1950

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ल: गिरगिट की तरह हैं रंग बदलते फ़ैशन वाले बाबू -२
दो: गिरगिट की तरह हैं रंग बदलते फ़ैशन वाले बाबू -२ल: मुँह पे चूने की सफ़ेदी तन पे काला सूट है
टाई आई है कहीं से तो किसी का बूट है
जेब में दमड़ी नहीं और बातें करते लाख की
मुफ़्त की सिगरेट पी पी के शान है ये आप की
दो: और मटक मटक कर चलते हैं फ़ैशन वाले बाबू
गिरगिट की तरह हैं रंग बदलते फ़ैशन वाले बाबूल: अच्छी सूरत कोई देखी चट से आशिक़ हो गये
कह दिया बस तुम हमारे हम तुम्हारे हो गये
इनकी बातों का नहीं साहिब मुझको कोई ऐतबार -२
ये कपड़ों की तरह बदलते माशुक़ भी दिन में तीन बार -२
हर नई शक्ल पर मचलते हैं ये फ़ैशन वाले बाबू
दो: हर नई शक्ल पर मचलते हैं ये फ़ैशन वाले बाबू
गिरगिट की तरह हैं रंग बदलते फ़ैशन वाले बाबूचि: भोली भाली सूरत वाले होते हैं सब बेवफ़ा
इनसे जो उल्फ़त करे हो जाये दुनिया से सफ़ा
ल: ऐसों से ही करके उल्फ़त बाद में पछताते हैं
रंग गुलाबी देख के ये तेरे साये मर जाते हैं
रह रह के हाथ फिर मलते हैं ये फ़ैशन वाले बाबू
दो: रह रह के हाथ फिर मलते हैं ये फ़ैशन वाले बाबू
गिरगिट की तरह हैं रंग बदलते फ़ैशन वाले बाबू