गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - रात और दिन | वर्ष - 1967
View in Romanना छेड़ो कल के अफ़साने, करो इस रात की बातें
छलकने दो ये पैमाने, करो इस रात की बातें
ना फिर ये रात आयेगी, ना दिल उछलेगा सीने में
ना होगी रंग पे महफ़िल, ना ऐसा रंग जीने में
मिलेंगे कब ये दीवाने, करो इस रात की बातें
हर एक दिन कल का झगड़ा है, हर एक दिन कल का है रोना
ये घड़ीयां रात की तुम भी, ना औरों की तरह खोना
जो कल होगा खुदा जाने, करो इस रात की बातें
करो वो बात जिससे बोझ दिल का दूर हो जाये
करो वो ज़िक्र जिससे बेकसी काफूर हो जाये
मिले हैं दिल को बहलाने, करो इस रात की बातें