हमसफ़र साथ अपना छोड़ चले - The Indic Lyrics Database

हमसफ़र साथ अपना छोड़ चले

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा - रफी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - आखरी दांव | वर्ष - 1958

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हमसफ़र साथ अपना छोड़ चले
रिश्ते नाते वो सारे तोड़ चले
रास्ता साफ़ था तो चलते रहे
साथ हँसते रहे मचलते रहे
मोड़ आया तो मुंह मोड़ चले
सपने टूटे पड़े हैं राहों में
दर्द की धूल है निगाहों में
दिल पे कदमों के नक़्श छोड़ चले
जब उन्हें हमसे प्यार ही न रहा
रोये क्या इंतज़ार ही न रहा
हम भी दामन को अब निचोड़ चले