गोरी के हाथ में जैसे ये छल्ला - The Indic Lyrics Database

गोरी के हाथ में जैसे ये छल्ला

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - मेला | वर्ष - 1971

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र : गोरी के हाथ में
जैसे ये छल्ला
वैसी हो क़िसमत
मेरी भी अल्लार : गोरी के हाथ में
को : गोरी के हाथ में
र : जैसे ये छल्ला
को : जैसे ये छल्ला
र : वैसी हो क़िसमत
मेरी भी अल्लाल : छूने न दूँगी
उँगली मैं बाबू
बन जाओ चाहें रे
चाँदी का छल्ला
ल : छूने न दूँगी
लो : छूने न दूँगी
ल : उँगली मैं बाबू
को : उँगली मैं बाबू
ल : बन जाओ चाहें रे
चाँदी का छल्लाल : जा रे जा रे हाथ को हमारे
हाथ लगा ना
हो दिल्लगी ना समझना
र : कोई लुटे कोई मर मिटे
जग हो दीवाना
हो मैं जो बनूँ तेरा गहना
ल : तू जो बने गहना सँवरना छोड़ दूँ
मोहे तू सजाये तो दरपन तोड़ दूँ
र : हो ऐसा ग़ुस्सा भई रे वल्लाहर : गोरी के हाथ में
जैसे ये छल्ला
वैसी हो क़िसमत
मेरी भी अल्ला
ल : छूने न दूँगी
लो : छूने न दूँगी
ल : उँगली मैं बाबू
को : उँगली मैं बाबू
ल : बन जाओ चाहें रे
चाँदी का छल्लार : चाहूँ तुझे डोली में बिठा के
कहीं ले जाऊँ
ए हाय सोच में पड़ गई क्या
ल : जो मैं तेरी दुलहनिया बनूँ
घूँघटा जला दूँ
ओ हाय ये मैं कह गई क्या
र : जो मैं चाहूँ रे तू भी वो ही चाहे
फिर तू ज़ालिम सताये मुझे काहे
ल : हो जा-जा इतना तू ना चिल्लाल : छूने न दूँगी
उँगली मैं बाबू
बन जाओ चाहें रे
चाँदी का छल्लार : गोरी के हाथ में
को : गोरी के हाथ में
र : जैसे ये छल्ला
को : जैसे ये छल्ला
र : वैसी हो क़िसमत
मेरी भी अल्लाल : छूने न दूँगी
लो : छूने न दूँगी
ल : उँगली मैं बाबू
को : उँगली मैं बाबू
ल : बन जाओ चाहें रे
चाँदी का छल्ला