आदमी मुसाफिर है आता है जाता हैं - The Indic Lyrics Database

आदमी मुसाफिर है आता है जाता हैं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - अपनापन | वर्ष - 1977

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आदमी मुसाफ़िर है आता है जाता है
आते-जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता हैझोंका हवा का पानी का रेला -२
मेले में रह जाए जो अकेला -२
वो फिर अकेला ही रह जाता है
आदमी मुसाफ़िर है ...क्या साथ लाए क्या छोड़ आए
रस्ते में हम क्या छोड़ आए
मंज़िल पे जा के ही याद आता है
आदमी मुसाफ़िर है ...जब डोलती है जीवन की नैया
कोई तो बन जाता है खिवैया
कोई किनारे पे ही डूब जाता है
आदमी मुसाफ़िर है ...रोती है आँख जलता है ये दिल
जब अपने घर के फेंके दिये से
आँगन पराया जगमगाता है
आदमी मुसाफ़िर है ...