दिल लगाकर हम ये समाजे जिंदगी क्या चिइज है - The Indic Lyrics Database

दिल लगाकर हम ये समाजे जिंदगी क्या चिइज है

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - आशा भोंसले, महेंद्र कपूर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - जिंदगी और मौत | वर्ष - 1965

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Ashaबाद मुद्दत के मिले तो, इस तरह देखा मुझे
जिस तरह एक अजनबी पर अजनबी डाले नज़र
आपने ये भी न सोचा दोस्ती क्या चीज़ हैपहले-पहले आप ही अपना बैठे हमें
फिर न जाने किसलिए दिल से भुला बैठे हमें
अब हुआ मालूम हमको बेरुख़ी क्या चीज़ हैप्यार सच्चा है मेरा तो देख लेना, ऐ सनम
आप आकर तोड़ देंगे ख़ुद मेरी ज़ंजीर-ए-ग़म
बन्दा पर्वर जान लेंगे बन्दगी क्या चीज़ हैMahendra Kapoorदिल लगाकर हम ये समझे, ज़िंदगी क्या चीज़ है
इश्क़ कहतें हैं किसे और, आशिक़ी क्या चीज़ हैहाय ये रुख़सार के शोले, ये बाहें मर्मरी
आपसे मिलकर ये दो बातें, समझ में आ गईं
धूप किसका नाम है और चाँदनी क्या चीज़ हैआपकी शोख़ी ने क्या-क्या, रूप दिखलाए हमें
आपकी आँखों ने क्या-क्या, जाम पिलवाए हमें
होश खो बैठे तो जाना, बेख़ुदी क्या चीज़ हैआपकी राहों में जबसे हमने रखा है क़दम -२
हमको ये महसूस होता है कि हैं मंज़िल पे हम
कोई क्या जाने मोहब्बत की खुशी क्या चीज़ है