हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सज़ा पाने को - The Indic Lyrics Database

हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सज़ा पाने को

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - लैला मजनू | वर्ष - 1975

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हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सज़ा पाने को
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को
मेरे दीवाने को इतना न सताओ लोगो
ये तो वहशी है तुम्ही होश में आओ लोगो
बहुत रंजूर है ये, गमों से चूर है ये
ख़ुदा का ख़ौफ़ खाओ बहुत मजबूर है ये
क्यों चले आए हो बेबस पे सितम ढाने को
मेरे जलवों की ख़ता है जो ये दीवाना हुआ
मैं हूँ मुजरिम ये अगर होश से बेगाना हुआ
मुझे सूली चढ़ा दो कि शोलों में जला दो
कोइ शिकवा नहीं है जो जी चाहे सज़ा दो
बख़्श दो इसको मैं तैयार हूँ मर जाने को
पत्थरों की भी वफ़ा फूल बना सकती है
ये तमाशा भी सरे आम दिखा सकती है
लो अब पत्थर उठाओ ज़माने के ख़ुदाओ
तुम्हें मैं आजमाऊँ मुझे तुम आजमाओ
अब दुआ अर्श पे जाती है असर लाने को