कोई नहीं है कहीं, सपनों में क्यों खो गई - The Indic Lyrics Database

कोई नहीं है कहीं, सपनों में क्यों खो गई

गीतकार - गुलजार | गायक - भूपेंद्र | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - किनारा | वर्ष - 1976

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कोई नहीं है कहीं, सपनों में क्यों खो गई
फिर आँख नम हो गई, फिर कोई याद आ गया है
रोशनी कम हो गई
किनारा मिलेगा यहीं, मिलेगा किनारा यहीं, यहीं रे, यहीं रे
बात थी ख्वाब की, ख्वाब में बीत चुकी है
ख्वाब दोहराते नहीं
जिन्दगी सपना नहीं रे, जिन्दगी सपना नहीं, नहीं रे, नहीं रे