कोई मेरे माथे की बिंदिया सजा दे रे - The Indic Lyrics Database

कोई मेरे माथे की बिंदिया सजा दे रे

गीतकार - गुलजार | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - पलकों की छाँव में | वर्ष - 1977

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घुंघटा गिरा है ज़रा घुंघटा उठा दे
कोई मेरे माथे की बिंदीया सजा दे रे
मैं दुल्हन सी लगती हूँ, दुल्हन बना दे रे
आँखों में रात का काजल लगा के
मैं आँगन में ठंडे सवेरे बिछा दूँ
जो पैरों में मेहंदी सी अगनी लगा दे रे
ना चिठ्ठी ही आई ना संदेसा आया
हर आहट पे आने का अंदेसा आया
कोई झूठीमूठी किवड़िया हिला दे रे
कोई मेरे आंगन में ठहरे ना उतरे
अंधेरी गली से कई लोग गुज़रे
कोई रुक के तेरी ख़बरिया सुना दे रे