मैं अलबेली रुमझुम रुमझुम बाजे घूँघर मोरा - The Indic Lyrics Database

मैं अलबेली रुमझुम रुमझुम बाजे घूँघर मोरा

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - बुज़दिल | वर्ष - 1951

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मैं अलबेली
मैं अलबेली रुमझुम रुमझुम बाजे घूँघर मोरा
मैं अलबेली
सौ सौ फेरे मारे पागल रूप का लोभी (अनोखी ??) भँवरा
मैं अलबेली
मैं हूँ छुई मुई छुओ न मुझको
छूने से मैं मुर्झाऊँगी हाय रे हाय
छूने से मैं मुर्झाऊँगी
अखियाँ तुम्हारी जैसे कटारी
बिना मौत मर जाऊँगी हाय रे हाय
बिना मौत मर जाऊँगी
मैं हूँ बिचारी एक (नारी ??)
डाल न मुझपे डोरा
मैं अलबेली
मैं नाचूँ तो संग संग मेरे
नाचे ये दुनिया सारी
ये दुनिया नाचे ये दुनिया सारी
मैं हँस दूँ कलियाँ खिल जाएँ
झूम उठे फुलवारी
ये फुलवारी झूम उठे फुलवारी
झुक झुक झूमूँ कलियों को चूमूँ
चंचल पवन झकोरा
मैं अलबेली
मैं हूँ प्यार की मधुर चाँदनी
मैं हूँ रात की रानी
महारानी मैं हूँ रात की रानी
सूरज से मोहे डर लागे
मैं चाँद की हूँ दीवानी
दीवानी मैं चाँद की हूँ दीवानी
मिलन की आशा प्रेम का प्यासा
मन मेरा बना ठठोरा ??
मैं अलबेली
मैं मैं मैं मैं
मैं अलबेली