आँकड़े का धंधा एक दिन तेज सौ दिन मंडा - The Indic Lyrics Database

आँकड़े का धंधा एक दिन तेज सौ दिन मंडा

गीतकार - गुलशन बावरा | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - सट्टा बाजार | वर्ष - 1959

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आँकड़े का धंधा एक दिन तेज सौ दिन मंदा
प्यारे छोड़ ये काम नहीं तो ( बोलो राम ) -३
आँकड़े का धंधा ...बुरे काम का बुरा नतीजा कह गए ज्ञानी-ध्यानी
raceके घोड़े पर आती है पल भर मस्त जवानी
मिंडी ? बन जाएगा फंदा बाबू मत कर ऐसा धंधा
प्यारे छोड़ ये काम ...सच बुजुर्गों ने फ़रमाया रख ले इसको दिल में
जिसने की बोतल से यारी बंद हुआ बोतल में
सर पर पड़े पुलिस का डंडा बाबू मत कर ऐसा धंधा
प्यारे छोड़ ये काम ...पत्तेबाजी में लाखों के पत्ते कटते देखे
महलों वाले बेभाव बाज़ार में बिकते देखे
जोकर बन जाता है बंदा बाबू मत कर ऐसा धंधा
प्यारे छोड़ ये काम ...जीत गया ये हाथ हैं काले हारा तो मुँह काला
सट्टेबाजी में लाखों का निकला है दीवाला
खाना पड़े माँग कर चन्दा बाबू मत कर ऐसा धंधा
प्यारे छोड़ ये काम ...