सबि सुख दुउर से गुज़ारें - The Indic Lyrics Database

सबि सुख दुउर से गुज़ारें

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - कारवां | वर्ष - 1971

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सभी सुख दूर से गुज़ारे
गुज़रते ही चले जाये
मगर पीड़ा उम्र भर
साथ चलने को उतारू है
सभी दुःख दूर से गुज़ारे
गुज़रते ही चले जाये
मगर पीड़ा उम्र भर
साथ चलने को उतारू है
सभी दुःख दूर से गुज़ारे
गुज़रते ही चले जाये

हमारा धूप में घर
छाँव की क्या बात जाने हम
अभी तक तोह अकेले ही चले
क्या साथ जाने हम
बता दे क्या घुटन की
घटिया कैसी लगी हमको
सदा नंगा रहा आकाश
क्या बरसात जाने हम
बहरे दूर से गुज़ारे

गुज्जरति ही चली जाये
मगर पतझड़ उम्र भर
साथ चलने को उतारू है
सभी दुःख दूर से गुज़ारे
गुज़रते ही चले जाये

अटारी को धरा से किस तरह
आवाज़ दे दे हम
मेंहदिया पांव को
क्यूँ दूर का अंदाज़ दे दे हम
चले शमशान की देहरी
वही है साथ की संज्ञा
बर्फ के एक बुत को आस्था की
आंच क्यों दे हम
हमें अपने सभी बिसरे
बिसराते ही चले जाये
मगर सुधियाँ उम्र भर
साथ चलने को उतारू है
सभी दुःख दूर से गुज़ारे
गुज़रते ही चले जाये.