क्या रात सुहानी है - The Indic Lyrics Database

क्या रात सुहानी है

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - श्यामसुंदर | फ़िल्म - अलिफ़ लैला | वर्ष - 1953

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रफ़ी:
क्या रात सुहानी है, क्या रात सुहानी है
आज ज़माने की हर शै पे जवानी हैलता:
अनमोल निशानी है, अनमोल निशानी है
तू मेरी उल्फ़त के ख़्वाबों की जवानी हैरफ़ी:
कुछ कह दो निगाहों में, कुछ कह दो निगाहों में
आज सिमट आओ तरसी हुई बाहों में
कुछ कह दो निगाहों मेंलता:
हसरत है निगाहों में, हसरत है निगाहों में
दूर कहीं चल दूँ छुप कर तेरी बाहों मेंरफ़ी:
तक़दीर सम्भल जाए, तक़दीर सम्भल जाए
ग़र मेरे सीने पर ये ज़ुल्फ़ मचल जाएलता:
ये रात ना ढल जाए, ये रात ना ढल जाए
सुबह के तारे की नीयत ना बदल जाएदोनों:
क्या रात सुहानी है, क्या रात सुहानी है
आज ज़माने की हर शै पे जवानी है
क्या रात सुहानी है