मुसाफिर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना - The Indic Lyrics Database

मुसाफिर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना

गीतकार - गुलजार | गायक - किशोर कुमार | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - परिचय | वर्ष - 1972

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मुसाफिर हूँ यारों, ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है, बस चलते जाना
एक राह रुक गई तो और जुड़ गई
मैं मुड़ा तो साथ साथ राह मुड़ गई
हवा के परों पर मेरा आशियाना
दिन ने हाथ थाम कर इधर बिठा लिया
रात ने इशारे से उधर बुला लिया
सुबह से, शाम से मेरा दोस्ताना