गीतकार - जी एस रावल | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - सोनिक-ओमी | फ़िल्म - आबरु | वर्ष - 1968
View in Romanआपसे प्यार हुआ आप ख़फ़ा हो बैठे
मिल के बैठे भी न थे और जुदा हाय जुदा हो बैठेओ ओ हाय साँस लेती हो तो क्या क़हर की लू चलती है
बू ये कहती है कोई दिल की सी शै जलती है
सुर्ख़ शोलों की तरह आप यह क्या हो बैठे
मिल के बैठे भी ...जोश पे हुस्न का तूफ़ान नज़र आता है
इश्क़ की मौत का समान नज़र आता है
और कश्ती से किनारे भी ख़फ़ा हो बैठे
मिल के बैठे भी ...ओ ओ हाय हर नज़र तीर सही देखिए एक बार हमें
मरना तक़दीर सही मौत से है प्यार हमें
खींचिए यूँ ना कमाँ तीर ख़फ़ा हो बैठे
मिल के बैठे भी ...