कोई जब राह ना पाए मेरे संग आए - The Indic Lyrics Database

कोई जब राह ना पाए मेरे संग आए

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - दोस्ती | वर्ष - 1964

View in Roman

कोई जब राह ना पाए
मेरे संग आए
कि पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती, मेरा प्यार
जीवन का यही है दस्तूर
प्यार बिना अकेला मजबूर
दोस्ती को माने तो सब दुःख दूर
कोई काहे ठोकर खाए, मेरे संग आए
कि पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती, मेरा प्यार
दोनों के हैं रूप हज़ार
पर मेरी सुने जो संसार
दोस्ती है भाई, तो बहना है प्यार
कोई मत नैन चुराए, मेरे संग आए
कि पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती, मेरा प्यार
प्यार का है, प्यार ही नाम
कहीं मीरा, कहीं घनश्याम
दोस्ती का यारों नहीं कोई धाम
कोई कहीं दूर ना जाए, मेरे संग आए
कि पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती, मेरा प्यार