अपनी तसवीर को आंखों से लगाता क्या हैं - The Indic Lyrics Database

अपनी तसवीर को आंखों से लगाता क्या हैं

गीतकार - शहजाद अहमद | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - करामाती घंटा (गैर फिल्म) | वर्ष - 1984

View in Roman

अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है
इक नज़र मेरी तरफ़ भी तेरा जाता क्या हैमेरी रुस्वाई में वो भी हैं बराबर के शरीक़
मेरे क़िस्से मेरे यारों को सुनाता क्या हैपास रह कर भी न पहचान सका तू मुझको
दूर से देख के अब हाथ हिलाता क्या हैउम्र भर अपने गिरेबाँ से उलझने वाले
तू मुझे मेरे ही साये से डराता क्या हैमैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता
देख कर मुझको तेरे ज़हन में आता क्या हैसफ़र-ए-शौक़ में क्यूँ काँपते हैं पाँव तेरे
दूर से देख के अब हाथ हिलाता क्या हैमर गये प्यास के मारे तो उठा अब्र-ए-करम
बुझ गई बज़्म तो अब शम्मा जलाता क्या है