बनके सुहागन रही अभागन - The Indic Lyrics Database

बनके सुहागन रही अभागन

गीतकार - भरत व्यास | गायक - लता | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - सहारा | वर्ष - 1958

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बन के सुहागन रही अभागन
रूठ गई तक़दीर मेरी
अपनी ही तक़दीर के आगे
चल न सकी तदबीर मेरी

आने को तो आईं बहारें
लेकिन मैं बरबाद हुई
बसते बसते उजड़ गई मैं
ये कैसी बेदाद हुई
बनते बनते बिगड़ गई है
सपनों की तसवीर मेरी

मंज़िल तक पहूँची तो मंज़िल
और भी मुझ से दूर हुई
हँसते हँसते मेरी क़िस्मत
रोने पे मजबूर हुई
आज ज़माना हुआ बेगाना
कोई न समझे पीर मेरी$